मुद्राकोष ने भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाया

■ वर्ष 2023 के लिए लगाया 6.1 फीसद वृद्धि का अनुमान वर्ष 2022 और 2024 के लिए के लिए लगाया 6.8% का अनुमान

की वजह से यह 2022 में कम होकर 4.3 फीसद पर आ गई थी।

फीसद से घटकर 2023 में 2.9 फीसद पर आने का अनुमान है। हालांकि यह 2024 में बढ़कर 3.1 फीसदी पर पहुंच सकती है।

गति शक्ति, लॉजिस्टिक नीति से वृद्धि को मिलेगी गति नई दिल्ली (भाषा)। पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं जैसे पथ-प्रवर्तक कदमों से भारत की आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान जताया गया है। मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, पिछले आठ वर्षों में सड़कों, रेल मार्गों एवं जलमार्गों में अप्रत्याशित विस्तार देखने को मिला है। इस दौरान बंदरगाहों और हवाई अड्डों को भी उन्नत किया गया है। आर्थिक समीक्षा कहती है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 14-18 प्रतिशत के दायरे में रही है जबकि इसका वैश्विक मानक आठ प्रतिशत का है। सरकार वर्ष 2021 में पीएम गति शक्ति- राष्ट्रीय मास्टर प्लान लेकर आई थी। इसके जरिए ढांचागत परियोजनाओं से संबंधित विभागीय जकड़नों को खत्म कर उनका समग्र एवं एकीकृत नियोजन करने के साथ क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इस तरह मल्टी-मॉडल और अंतिम गंतव्य तक पहुंच सुविधा बहाल करने का इरादा है।

मुद्रा कोष में अनुसंधान विभाग के निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा, ‘वृद्धि के हमारे अनुमान वास्तव में भारत के लिए तो अक्टूबर के परिदृश्य की तुलना में अपरिवर्तित ही हैं। । चालू वित्त वर्ष के लिए 6.8 फीसद की वृद्धि हासिल करने की बात थी और यह वित्त वर्ष मार्च तक

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वर्ष 2023 में मुद्रास्फीति 5% पर आने का अनुमान वाशिंगटन (भाषा)। भारत में मुद्रास्फीति 31 मार्च को खत्म होने जा रहे चालू वित्त वर्ष के 6.8 प्रतिशत से कम होकर अगले वित्त वर्ष में पांच प्रतिशत पर आ सकती है। 2024 में इसके और घटकर चार प्रतिशत पर आने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को यह अनुमान लगाया है। आईएमएफ में अनुसंधान विभाग के खंड प्रमुख डेनियल लेह ने कहा, ‘अन्य देशों की तरह ही भारत में भी मुद्रास्फीति के 2022 के स्तर 6.8 फीसद से घटकर 2023 में पांच फीसद पर आने का अनुमान है। 2024 में यह और घटकर चार प्रतिशत पर आ सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘यह आंशिक तौर पर केंद्रीय बैंक के कदमों को दिखाता है।’ चलेगा। इसके बाद अगले वित्त वर्ष के लिए इसमें कुछ नरमी आने और

वृद्धि के 6.1 फीसद पर रहने का अनुमान है।’ आईएमएफ के विश्व

आर्थिक परिदृश्य को अद्यतन करते हुए कहा गया, ‘भारत में वृद्धि 2022 की 6.8 फीसद से कम होकर 2023 में 6.1 फीसद रहने और प्रतिकूल बाहरी परिस्थितियों के बावजूद घरेलू मांग में जुझारूपन से इसके 2024 में फिर बढ़कर 6.8 फीसद होने का अनुमान है।’

रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील एवं उभरते एशिया में वृद्धि 2023 और 2024 में बढकर क्रमशः 5.3 फीसद और 5.2 फीसद रह सकती है। चीन की अर्थव्यवस्था में कमजोरी

गोरिचेस ने कहा, ‘अगर हम चीन और भारत को एक साथ देखें तो 2023 में विश्व की वृद्धि में उनकी हिस्सेदारी करीब 50 फीसद होगी। यह एक उल्लेखनीय योगदान है।’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमारे अक्टूबर के पूर्वानुमान में भारत को लेकर हमारे जो सकारात्मक विचार थे, उनमें मोटे तौर पर अब भी कोई परिवर्तन नहीं आया है।’

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