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ऐक्ट बनने के बाद भी नारी शक्ति को करना होगा इंतजार, ये हैं दो खास वजह

Posted on September 21, 2023September 21, 2023 by srntechnology10@gmail.com

ऐक्ट बनने के बाद भी नारी शक्ति को करना होगा इंतजार, ये हैं दो खास वजह

महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा का आगाज हो चुका है. कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी(sonia gandhi on delimitaion issue) ने कहा कि पिछले 13 साल से महिलाओं को इंतजार है, इसमें अब किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से इस बिल के समर्थन में है. खास बात यह है कि राजीव गांधी जी का सपना पूरा होगा. लेकिन सरकार कुछ विषयों को लेकर स्पष्ट नहीं है, आखिर परिसीमन और जनगणना के नाम पर इसे टालने क्यों जा रहा है. परिसीमन (Delimitation issue) और जनगणना (Census ) ऐसे दो बिंदु हैं जो विवाद और चर्चा के केंद्र में है. यहां पर हम दोनों बिंदुओं को समझने की कोशिश करेंगे.

परिसीमन

परिसीमन(Delimitation) को आप सामान्य तरीके से ऐसे समझ सकते हैं. जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को पुनर्निधारण किया जाता है. इसके पीछे मकसद है कि आबादी को विधायिका में उचित हिस्सा मिल सके. चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक बने इसके लिए परिसीमन आवश्यक है. निर्वाचन क्षेत्रों को सही तरह से विभाजित किया जा सके, इसके अलावा परिसीमन के बाद समाज के वंचित हिस्से को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके. अगर अनुच्छेद 81 को देखें तो उसमें स्पष्ट जिक्र है कि लोकसभा में सांसदों की संख्या 550 से अधिक नहीं होगी. हालांकि संविधान में इस बात का भी जिक्र है कि 10 लाख की आबादी के लिए एक सांसद होना चाहिए.

1952 में हुआ था परिसीमन आयोग का गठन

1952 में परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन हुआ था.1951 में पहले आम चुनाव में लोकसभा में सांसदों की संख्या 489 थी. लेकिन 1971 में जनगणना को आधार बनाकर 1976 में परिसीमन हुआ और सदस्य संख्या बढ़कर 543 हो गई. अब अगर परिसीमन होता है तो उससे पहले जनगणना का होना जरूरी है. 2021 में जनगणना होनी थी जिसे कोविड की वजह से टाल दिया गया. जनगणना के बारे में अभी पुख्ता जानकारी नहीं है. यहां बता दें कि 2026 में परिसीमन होना है. इसका अर्थ यह हुआ कि अगर संसद के दोनों सदनों से यह बिल पारित होकर ऐक्ट की शक्ल में आया तो भी 2024 के आम चुनाव में 33 फीसद आरक्षण का फायदा महिलाओं को नहीं मिल सकेगा.

परिसीमन का मुद्दा एक और वजह से पेचीदा बन चुका है. दक्षिण भारत के राज्यों को लगता है कि अगर परिसीमन हुआ तो उन्हें नुकसान उठाना होगा. दरअसल परिसीमन का आधार ही जनगणना है. दक्षिण के राज्यों को लगता है कि बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की वजहों से उत्तर भारत की तुलना में जनसंख्या में कमी आई है, परिसीमन होने का अर्थ यह होगा कि उत्तर भारत के राज्यों की तुलना में उनकी सदस्य संख्या में गिरावट आएगी और उसका असर संसद में प्रतिनिधित्व पर पड़ेगा.

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