कत्युरी राजाओं के बारे में अधिक जानकारी

कत्युरी राजाओं के बारे में अधिक जानकारी

कत्युरी राजवंश उत्तराखंड के एक मध्ययुगीन राजवंश थे जिन्होंने लगभग 700 ईस्वी से 1300 ईस्वी तक शासन किया। उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:

उत्पत्ति और इतिहास

– कत्युरी राजवंश की उत्पत्ति भगवान राम के पुत्र कुश से मानी जाती है, और उनका संबंध अयोध्या के शालिवाहन शासक घराने से है।
– उन्होंने अपने राज्य को “कूर्माञ्चल” कहा, जिसका अर्थ है “कूर्म की भूमि”।
– उनकी राजधानी पहले जोशीमठ में थी, जिसे बाद में कार्तिकेयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था।

शासन और प्रशासन

– कत्युरी राजाओं ने “गिरीराज चक्रचूड़ामणि” की उपाधि धारण की थी।
– उनके शासनकाल में प्रशासनिक व्यवस्था अच्छी तरह से स्थापित थी।
– उन्होंने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण करवाया, जिनमें जोशीमठ का वसुदेव मंदिर, बद्रीनाथ के मार्ग में छोटे-छोटे पूजास्थल, लकुलेश मंदिर, महिषासुरमर्दिनी मंदिर और जगेश्वर का नवदुर्गा मंदिर प्रमुख हैं।

कत्युरी राजाओं के शिलालेख

– कत्युरी राजाओं के शिलालेखों में उनके वंश, शासनकाल और धार्मिक गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलती है।
– इन शिलालेखों में वंशावली, दान और पुण्य कार्य, धार्मिक मान्यताएं और राजधानी और शासन के बारे में विवरण है।
– कुछ प्रमुख शिलालेख बागेश्वर, पांडुकेश्वर और कुमायूँ में पाए गए हैं।

प्रमुख कत्युरी राजा

– वसुदेव: कत्यूरी वंश के संस्थापक
– बसन्तदेव: एक प्रमुख राजा जिन्होंने बैजनाथ मंदिर का निर्माण करवाया
– खड़पाड़देव और कल्याणराजदेव: अन्य प्रमुख राजा जिनके नाम शिलालेखों में मिलते हैं

कत्युरी राजवंश का पतन

– कत्युरी राजवंश का पतन 13वीं शताब्दी में हुआ, जब उन्हें खस राजाओं के आक्रमण का सामना करना पड़ा।
– इस आक्रमण के कारण कत्युरी राजाओं को अपनी राजधानी छोड़नी पड़ी और उनका राज्य धीरे-धीरे कमजोर हो गया। ¹

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *