Dizital marketing automatically आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आने वाले वक़्त में कई चीज़ों को पूरी तरह बदलने की ताक़त रखता है.
कई एआई जेनेरेटड कैरेक्टर्स इसके उदाहरण हैं, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर आए दिन सामने आते रहते हैं.
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी एआई तकनीक इस्तेमाल हो रही है, जहां एक टीवी चैनल ने इसका इस्तेमाल करते हुए एक टीवी प्रेज़ेंटर तैयार किया है.आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से बदलती न्यूज़ की दुनिया
मॉर्डन व्हील चेयर का उपयोग
समाचार और पत्रकारिता, समाज में गहरा प्रभाव डालते हैं। वर्तमान में, तकनीकी उन्नति ने इस क्षेत्र में भी नई दिशा दी है। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) ने समाचार के प्रसारण और समाचार की निर्मिति में भी अपना समर्थन दिया है।AI के प्रयोग से समाचार का प्रसारण अधिक सुगम हो गया है। सामग्री को संशोधित और फ़िल्टर करने की क्षमता ने रीडर्स को समाचार का अधिक सटीक और सरल अवलोकन प्रदान किया है। विभिन्न साधनों और प्लेटफ़ॉर्मों के माध्यम से, उपयोगकर्ताओं को उनकी पसंद और रुचियों के अनुसार समाचार तक पहुंचने में मदद मिल रही है।
AI आधारित समाचार प्लेटफ़ॉर्म उपयोगकर्ताओं को उनके पूर्वगामी व्यवहार का विश्लेषण करते हैं और उन्हें उनकी पसंद के आधार पर सामान्य समाचार से जुड़े विशिष्ट सामग्री प्रदान करते हैं। इससे उपयोगकर्ताओं का समय बचता है और उन्हें उनके रुचियों और दिक्कतों के आधार पर अधिक सामग्री मिलती है।
हालांकि, इस तकनीकी उन्नति के साथ, चुनौतियों का भी सामना किया जा रहा है। AI आधारित समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता और सत्यापन में कई बार संदेह जताया गया है। सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर असत्य समाचार और भ्रामक जानकारी का प्रसार होने का खतरा बना रहता है।
AI द्वारा संचालित समाचार स्रोतों के पीछे के अल्गवाद, अवसाद और संघर्ष का सामना किया जा रहा है। इसलिए, समाचार उत्पादकों और प्लेटफ़ॉर्मों को गुणवत्ता और विश्वसनीयता में पूरी तरह से संलग्न रहना चाहिए।
इस संदर्भ में, पत्रकारिता और समाचार के क्षेत्र में AI के प्रयोग के नियम और शासनिक दिशानिर्देशों का महत्वपूर्ण विचार किया जाना चाहिए। समाज के हित में समाचार की गुणवत्ता और सत्यापन को बनाए रखने के लिए, AI का सही और ज़िम्मेदार उपयोग महत्वपूर्ण है।
आजकल, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) समाचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण यात्रा पर है, जहां यह नए और विमर्शशील तरीके से समाचार का प्रसारण, विश्लेषण, और समझ को समर्थित कर रहा है। यहां कुछ मुख्य तत्व हैं जो AI के प्रयोग से समाचार क्षेत्र में विमर्शशीलता को बढ़ाते हैं:1. **समाचार की अद्वितीय संप्रेषण**:
AI अब समाचार और जानकारी को व्यक्तिगत रूप से संबोधित करने की क्षमता बढ़ाता है। उपयोगकर्ताओं के पिछले इंटरेस्ट्स और इतिहास के आधार पर AI नवीनतम समाचार की प्राथमिकता को तय करने में मदद करता है।2. **विशेष रुचियों के आधार पर समाचार**:
AI व्यक्तिगतकृत समाचार प्रदान करता है, जिसमें उपयोगकर्ताओं की रुचियों, न्यूज़ स्रोतों, और विषयों के आधार पर सामग्री को फ़िल्टर किया जाता है।3. **स्वच्छता और सत्यापन**:
AI समाचार अब सत्यापन की प्रक्रिया में भी सहायक हो रहा है। इसके जरिए, असत्य समाचार और भ्रामक जानकारी का पता लगाने में सहायता मिल रही है।4. **रोबोटिक और स्वचालित समाचार संचार**:
AI रोबोटिक संचार के माध्यम से समाचार प्रसारण में भी सहायक हो रहा है। समाचार प्रोडक्शन के लिए ऑटोमेटेड सिस्टमों का उपयोग हो रहा है, जो समय और श्रम की बचत करते हैं।5. **अधिक संवेदनशील और जागरूक समाचार सेवाएं**:
AI के उपयोग से, अधिक और अधिक संवेदनशीलता और जागरूकता समाचार सेवाओं में देखी जा रही है। यह उपयोगकर्ताओं को समाचार के प्रति अधिक जानकारी और समझ प्रदान करता है।साथ ही, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के साथ, समाचार क्षेत्र में चुनौतियों को भी सामना करना है, जैसे कि सत्यापन, न्यूज़ बायस, और गोपनीयता के मुद्दे। यह उत्पादकों और पाठकों के लिए जिम्मेदारी बढ़ाता है, ताकि वे विश्वसनीयता और गुणवत्ता के मानकों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
रोबोटिक और स्वचालित समाचार संचार आधुनिक समय की महत्वपूर्ण तकनीकी वृद्धि है जो समाचार क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन ला रही है। यह तकनीक समाचार की प्रोडक्शन और वितरण को स्वचालित और विश्वसनीय बनाने में मदद करती है।रोबोटिक समाचार संचार में, AI और अन्य संगठनित तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि समाचार प्रोडक्शन की प्रक्रिया को स्वचालित किया जा सके। यह आपके समय और श्रम को बचाता है और समाचार तत्वों को विश्वसनीयता और गुणवत्ता के साथ प्रस्तुत करने में मदद करता है। इसमें स्वचालित लेखन, संपादन, और प्रसारण की प्रक्रियाएँ शामिल हो सकती हैं।
स्वचालित समाचार संचार में, रोबोट्स, चैटबॉट्स, और अन्य स्वचालित तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि समाचार सामग्री को उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया जा सके। यह अधिकतर सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर देखा जा सकता है, जहां बॉट्स समाचार, अपडेट्स, और अन्य जानकारी प्रदान करते हैं।
यह तकनीकी विकास समाचार की गति को तेज़ करता है, लेकिन साथ ही, यह भी सत्यापन की चुनौतियों को उत्पन्न करता है। इसलिए, सत्यापन और गुणवत्ता की मानक प्रक्रियाओं को स्थापित करना आवश्यक है ताकि समाचार की विश्वसनीयता बनाए रखा जा सके।
दुनिया भर के विभिन्न मीडिया संस्थानों और समाचार एजेंसियों में अब कंप्यूटर का एक खास उपयोग हो रहा है। खेल, मौसम, स्टॉक एक्सचेंज की गतिविधियों, कॉरपोरेट कंपनियों के प्रदर्शन जैसे विषयों को कंप्यूटर के भरोसे छोड़ दिया गया है। हैरानी की बात है कि कई मामलों में पत्रकारों की अपेक्षा कंप्यूटर का काम अधिक व्यापक होता दिख रहा है। कई बार एक पत्रकार की खबर किसी एकल-स्रोत पर आधारित होती है। जबकि कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर विभिन्न स्रोतों से डेटा आयात करके प्रवृत्तियों और पैटर्न को पहचान लेता है। साथ ही, कंप्यूटर अब भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करके विशेषण और उपमाओं के साथ परिष्कृत वाक्यों का निर्माण करने में भी सक्षम हैं। रोबोट अब किसी फुटबॉल मैच में भीड़ की भावनाओं की रिपोर्ट भी कर सकता है।यही कारण है कि कई पत्रकारों को अब डर है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (एआई) उनकी नौकरी छीन सकता है। लेकिन अगर पत्रकार इससे डरने के बजाय इसे अपनाते हैं, तो इससे पत्रकारिता को नया आयाम मिल सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए हमें तेजी से बदलते समय में वैश्वीकृत और सूचना-समृद्ध दुनिया को बेहतर ढंग से कवर करना संभव हो सकता है।
इंटेलिजेंट मशीनों से पत्रकारों की रिपोर्टिंग बेहतर हो सकती है। उनकी रचनात्मकता और दर्शकों को जोड़ने की क्षमता बढ़ सकती हैं। इसके आधार पर किसी डेटा पैटर्न को समझने के लिए पूर्वानुमान का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, इन पैटर्न में बदलाव को भी समझना अब संभव है। ऐसे एल्गोरिदम को सीखना पत्रकारों के लिए काफी उपयोगी होगा। इससे उन्हें तीव्र गति से विभिन्न सामग्री को व्यवस्थित करने, क्रमबद्ध करने और रिपोर्टिंग में मदद मिलेगी। इस तरह पत्रकारों की उत्पादकता काफी बढ़ सकती है, जिसके बारे में कभी कल्पना तक नहीं की गई थी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह पत्रकारों की मदद कर सकता है? यह एक इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में किसी लापता लिंक को खोजने के लिए डेटा को व्यवस्थित कर सकता है। यह विभिन्न प्रवृत्तियों की पहचान कर सकता है। यह लाखों डेटा बिंदुओं में से किसी खास बिंदु को खोज सकता है, जिससे किसी बड़े स्कूप या घोटाले का पता लगना संभव हो।
उदाहरण के लिए, आप सरकारी खरीद संबंधी डेटा को एक एल्गोरिदम में लगातार फीड कर सकते हैं। इसमें किसी एक ही पते पर बनी अनगिनत कंपनियों का डेटा निकल सकता है। इस से पत्रकारों को कई सुराग मिल सकते हैं। इसकी तह में जाने पर किसी भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।
बुद्धिमान कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके बेहद कम समय में जांच में सहायता कर सकता है। वह विभिन्न स्रोत से आए तथ्यों की जांच करके उनकी विश्वसनीयता का पता लगा सकता है। वर्ष 2017 की Tow Centre Report के अनुसार संयुक्त राज्य में कई मीडिया संस्थानों में तथ्य-जांच के लिए एआई का भरपूर उपयोग हो रहा है। रॉयटर्स का उदाहरण देखें। यहां सोशल मीडिया के ब्रेकिंग न्यूज पर नजर रखने के लिए News Tracer का उपयोग हो रहा है। इसके जरिए ट्वीट्स की सत्यता की जांच भी बेहद आसानी से कर ली जाती है।ब्राजील में Serenata de Amor नामक पत्रकारों का एक समूह है। इसमें प्रौद्योगिकी के प्रति उत्साही नागरिक भी शामिल हैं। यह समूह ‘रोजी’ नामक एक रोबोट का उपयोग करता है। इसमें ब्राजील के सभी कांग्रेस सदस्यों को भुगतान की जाने वाली राशि और उसके बिल का विवरण दर्ज किया जाता है। यह विवरण को ट्रैक कर उन कारणों को उल्लेखित करता है जो संदेहास्पद होते हैं ।
एल्गोरिदम विभिन्न तरीकों से पत्रकारों की मदद कर रहा है। जैसे, वीडियो के मोटे कट बनाने से लेकर आवाज के पैटर्न को पहचानने और भीड़ में चेहरों की पहचान करने तक। उन्हें पाठकों के साथ चैट करने और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। यह प्रक्रिया एक पत्रकार के बिना पूरी नहीं हो सकती, जो एक लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए डेटा के बारे में प्रासंगिक प्रश्न पूछता है। यह सिस्टम कैसे काम करता है, इसे पत्रकारों और संपादकों को तेजी से सीखना होगा। ऐसा करके वे अपनी पत्रकारिता को बढ़ाने में एआई का शानदार उपयोग कर सकते हैं।
दुनिया के अधिकांश पत्रकारों के पास अपनी परियोजनाओं के डिजाइन और निर्माण में मदद करने के लिए प्रोग्रामर या डेटा वैज्ञानिकों की टीम नहीं है। इसलिए आपसी सहयोग ही एकमात्र रास्ता है। छोटे न्यूजरूम और फ्रीलांसर अधिक स्थायी सहयोग बनाने में मदद करने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के साथ मिलकर संसाधनों की कमी को पूरा कर सकते हैं। वे कई ओपन-सोर्स सर्च और एनालिटिक्स टूल का सहारा ले सकते हैं।
पत्रकारों और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच संवाद का अभाव है। दोनों पक्ष एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हुए कुछ परीक्षण करके त्रुटियों का समाधान निकाल सकते हैं। तकनीकी विकास के साथ पत्रकारों के पास अब यह एक विस्तारित उपकरण है। पत्रकारों के पास अब समाज की बात सुनने और उनकी जरूरतों पहचानने की क्षमता काफी बढ़ गई है। इसका सदुपयोग करने के लिए गंभीर प्रयास करना होगा ताकि अवसर बर्बाद न न्यूजरूम में खबरें कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर लिखी जा रहीं हैं