पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तौर पर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार • फिर से चुनाव मैदान में हैं। उनका सामना वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से है। कहा जा रहा है कि ट्रंप चुनाव जीत सकते हैं। कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन ट्रंप की तमाम प्रतिज्ञाओं में से एक यह है कि उन्हें अमेरिकी समाज में परिवार चाहिए। अमेरिका में परिवार की वापसी की मांग कोई नई नहीं है। इस मामले में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स एक ही विचार के दिखते हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर की पत्नी 1993 से परिवार की वापसी की मुहिम चला रही हैं। अल गोर डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंध रखते हैं। वहां के समाजसेवी, मनोवैज्ञानिक, पुलिस अधिकारी, अध्यापक और यहां तक कि बहुत से डाक्टर भी समवेत स्वर में कहते रहे हैं कि मनुष्य के लिए परिवार बहुत जरूरी है। वह अकेला नहीं रह सकता। कुछ दिन पूर्व एक शोध में बताया गया था कि अमेरिका में चार करोड़ लोग अकेलेपन के शिकार हैं। अमेरिकापरिवार की महत्ता समझता पश्चिम, जब अमेरिका-यूरोप परिवार की वापसी के लिए लालायित हैं, तब हमें भी इस संस्था को सुदृढ़ करना होगा मानवीय गरिमा की रक्षा की बात तो कौन करे। वह पश्चिम जिसने आजादी के नाम पर न जाने कितने नकारात्मक पाठ दुनिया को पढ़ाए अगर आज परिवार-परिवार चिल्ला रहा है तो कोई तो बात होगी। हमारे लिए भी यह समय कुछ सबक लेने का है। हो सकता है कुछ दोस्त अच्छे हों लेकिन वे हर वक्त आपके लिए नहीं हो सकते। की लगभग 34 करोड़ आबादी को देखते हुए यह बहुत बड़ी संख्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अकेलापन दुनिया में सबसे बड़ी महामारी का रूप लेता जा रहा है। बच्चों के लिए परिवार की जरूरत सबसे अधिक बताई जाती है। कहा जाता है कि परिवार में रहते बच्चे अपने मन की बात कह सकते हैं, बड़ों की सलाह उन्हें मिल सकती है। ऐसा न होने पर वे तमाम तरह के अपराधों के शिकार होते हैं। अवसाद में घिरते हैं और नशे के जाल में फंस जाते हैं। जहां बच्चे अकेले हों, वहां के समाज की लचर स्थिति की कल्पना ही की जा सकती है।
जिस परिवार को लेकर पश्चिम इतना लालायित हैं, उस पर पलीता उसी ने लगाया है। पहले हर तर्क से परिवार को पीटा, तरह-तरह के अतिवादी विचारों का डायनामाइट लगाकर उसे तहस-नहस किया और अब कह रहे हैं कि परिवार चाहिए। काश पहले सोचा होता कि परिवार नहीं रहेगा तो आप भी नहीं रहेंगे, लेकिन अतिवादी विचारों का आकर्षण कुछ इसी तरह का होता है कि वह लोगों को जल्द अपनी गिरफ्त में ले लेता है। उसके दुष्परिणाम 50-100 साल बाद ही दिखाई देते हैं। इटली में प्रधानमंत्री मेलोनी ने भी परिवार की बात करके ही
सबसे बड़ा संबल होता है परिवार फाइल इसकी तारीफ करते हैं कि भारत में पारिवारिक
राजनीतिक बढ़त ली थी। उनका तो नारा ही था, मैं एक आत्मनिर्भर स्त्री हूं, लेकिन मैं एक मां हूं और ईसाई भी हूं यानी आत्मनिर्भरता, परिवार और आपकी आस्था या धर्म एक साथ चल सकते हैं। अमेरिका के साथ पूरे यूरोप में इन दिनों परिवार की बातें हो रही हैं, क्योंकि लोग देख रहे हैं कि परिवार के न रहने की कितनी बड़ी कीमत समाज और सरकारें चुका रही हैं। जो काम परिवार के रहते हुए बहुत आसानी से हो जाते थे, उन सबके लिए लोग सरकारों की तरफ देखते हैं। मैंने खुद अकेले स्त्री-पुरुषों की बड़ी संख्या यूरोप में देखी है। हो सकता है कि उनके पास सभी सुविधाएं हों, लेकिन उनकी सुनने वाला शायद ही कोई हो। वे जैसे सिर्फ दुनिया से चले जाने के इंतजार में हैं। वे बाजारों, सड़कों और घरों में अकेले दिखाई देते हैं। उनकी मुस्कराहट में दीनता छिपी दिखती है। बहुत बार भारतीय लोगों को देखकर वे रुक जाते हैं और अक्सर परिवार के बारे में पूछते हैं sabhar dainikjagaran
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