कठिन चुनौतियों भी दुनिया में सबसे तेज आर्थिक गति से बढ़ेगा

विकास भारत आर्थिक सर्वेक्षण : महामारी से पूर्व के दौर में पहुंची अर्थव्यवस्था, चुनौतियों का दूसरे देशों से किया बेहतर सामना के बाद महंगाई : तय लक्ष्य के दायरे में अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली। भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2023-24 में 6 से 6.8 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। वहीं, 31 मार्च को खत्म हो रहे चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की विकास दर सात फीसदी रहेगी। वित्त वर्ष 2021-22 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8.7 के मुकाबले तेज गिरावट के बावजूद अगले साल देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती रहेगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में यह अनुमान लगाया गया है।

सर्वेक्षण के अनुसार, वास्तविक आधार पर वर्ष 2024 में विकास दर जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था में वृद्धि का यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आकलन 6.1 फीसदी से कहीं अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 2020 से अब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को कम से कम तीन बड़े झटके लगे हैं। इसकी शुरुआत कोरोना महामारी से हुई। दूसरा बड़ा झटका रूस और यूक्रेन के युद्ध से लगा। इसके बाद महंगाई को काबू करने के लिए अमेरिका समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं ने लगातार दरों में वृद्धि की, जिससे तीसरा झटका लगा। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने इन चुनौतियों का दूसरे देशों से बेहतर ढंग से सामना किया और महामारी के दौर से बाहर आ गई है। वित्त वर्ष 2021-22 में यह महामारी से उबर गई, वहीं, 2022-23 में महामारी की स्थिति में पहुंच चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट से एक पहले मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण में पेश किया। सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने तैयार किया >> आर्थिक सर्वेक्षण विशेष : कारोबार

: स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.1% खर्च वित्तीय वर्ष 2014 से 2019 के बीच स्वास्थ्य पर कुल व्यय 28.6 से बढ़कर 40.6% तक पहुंच गया। केंद्र व राज्यों का खर्च कुल जीडीपी के 2.1% हिस्से के बराबर पहुंचा।

ईवी सेक्टर में पांच करोड़ रोजगार आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, देश के वाहन उद्योग में इलेक्ट्रिक वाहनों के दौर में तेजी से वृद्धि होगी और 2036 तक इस सेक्टर में 5 करोड़ रोजगार सृजित होंगे।

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चुनौतियां चालू खाते का घाटा सख्त मौद्रिक नीति के कारण रुपये पर दबाव बना रह सकता है। आयात के लगातार ज्यादा रहने से चालू खाते का घाटा भी बढ़ता रहेगा। ■ खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ते रह सकते हैं। ■ अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में और वृद्धि की आशंका। ■ वैश्विक बाजार का सिकुड़ता आकार और भविष्य की वैश्विक मंदी की आशंका।

करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले.

सर्वेक्षण में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की अक्तूबर, 2022 में आई रिपोर्ट के आधार पर दावा है कि भारत ने 2005 से 2020 दौरान 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला।

सर्वे के अनुसार, खुदरा महंगाई नवंबर 2022 में घटकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तय लक्ष्य की सीमा में मुद्रास्फीति 6.8% ही रहने का अनुमान आ गई है। सरकार के सक्रिय उपायों से 31 मार्च को वित्त वर्ष की समाप्ति पर मुद्रास्फीति के 6.8 फीसदी तक ही बने रहने का अनुमान है। बेरोजगारी : तीन

लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

वित्त वर्षों से घट रही

भारत का श्रम बाजार कोरोना पूर्व की स्थिति में आ चुका है और 2020-21 से अबतक बेरोजगारी लगातार घट रही है। 2018-19 में बेरोजगारी दर 5.8 फीसदी थी, जो 2020-21 में 4.2% पर आ

औद्योगिक विकास : एक दशक पहले के औसत से भी अधिक

विश्व की अस्थिर नई रोशनी देगा बजट: मोदी

वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में औद्योगिक क्षेत्र में सकल -मूल्य संवर्धन (जीवीडब्ल्यू) 3.7% बढ़ा है। यह पिछले दशक के पूर्वाद्ध के दौरान हासिल की गई 2.8% की औसत वृद्धि से अधिक है।

को ■ पीएम मोदी ने कहा, अनिश्चित वैश्विक हालात में भारत न सिर्फ नागरिकों की आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेगा, बल्कि विश्व जिस उम्मीद की किरण देख रहा है, वित्त मंत्री सीतारमण उन आकांक्षाओं को भी पूरा करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आम बजट दुनिया की डांवाडोल हो रही अर्थव्यवस्था को नई रोशनी देगा। हमारा एक ही विचार है, भारत पहले और नागरिक पहले।

कृषि क्षेत्र : लगातार छह वर्ष से 4.6% की वृद्धि दर

3.7% सुधारों का असर : आर्थिक सलाहकार रही वृद्धि वर

: सेवा क्षेत्र : बीते वर्ष से | सुधार का अनुमान

कृषि क्षेत्र में पिछले छह साल से 4.6 फीसदी की वृद्धि दर बनी हुई है। 2021-22 में चार लाख करोड़ के कृषि निर्यात हुए।

सेवा क्षेत्र में 2021-22 के 8.4 फीसदी के मुकाबले 2022-23 में 9.1 फीसदी की विकास दर रहेगी।

एमएसएमई: ऋण में तेज वृद्धि दर 30.5% ”

मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने कहा, पिछले आठ वर्षों में किए गए सुधारों का असर दिखने लगा है। निर्माण गतिविधियों में तेजी आने से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने कहा, लाइसेंस, निरीक्षण व अनुपालन को खत्म कर दिया जाए, तो अर्थव्यवस्था के विकास की गति और तेज हो सकती है।

ढांचागत विकास : 8 प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन तीन माह के उच्च स्तर पर

सर्वे के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए ऋण में तेज वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरीनवंबर, 2022 के दौरान औसत आधार पर यह वृद्धि दर 30.5 प्रतिशत रही।

चालू खाते का घाटा है चुनौती

गांवों में बढ़ी महिला श्रमिकों की संख्या : सरकार का फोकस ग्रामीण भारत है। ग्रामीण अंचलों में महिला श्रमिकों की संख्या पिछले साल के 19.7 फीसदी से इस साल 27.7 प्रतिशत हो गई है।

आईएमएफ ने फिर कहा- भारत चमकता सितारा

देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन दिसंबर, 2022 में बढ़कर 7.4 फीसदी पर पहुंच गया, जो तीन महीने का उच्च स्तर है। खाद, कोयला, इस्पात और बिजली क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया। सितंबर में यह 7.9 फीसदी था। हालांकि अक्तूबर में 20 माह के निचले स्तर 0.1 फीसदी पर था। ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में कोयले का उत्पादन 11.5 फीसदी, खाद का 7.3 फीसदी, इस्पात का 9.2 फीसदी व बिजली का उत्पादन 10 फीसदी बढ़ा।

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