गोवध को लेकर एक याचिका को खारिज करने के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि गाय का वध करते हैं वे नर्क में जाते हैं और नर्क में उन्हें उतने वर्ष तक रहना पड़ता है जिसने उनके शरीर में बाल होते हैं। यह आदेश जस्टिस शमीम अहमद की एकल पीठ शुक्रवार को दिया है।
गाय से मिलने वाले कई पदार्थों से पंचगव्य बनता है, इसी कारण पुराणों में गो दान को सर्वोत्तम कहा गया है। भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार में देने का वर्णन है। जस्टिस शमीम अहमद
कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपेक्षा की है कि गोवध पर अंकुश लगाने के साथ गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने के कदम लिए उठाये जाएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार पर भरोसा भी जताया है। बाराबंकी के मोहम्मद अब्दुल खालिक की याचिका को बीती 14 फरवरी 2023 की याचिका को खारिज करने के साथ ही कोर्ट ने गाय की महिमा का वर्णन किया।
जस्टिस शमीम ने गोवध अधिनियम के तहत केस को
रद करने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया याची के खिलाफ गोवध का अपराध पाया जाता है। जस्टिस शमीम ने आदेश में गाय की महिमा का वर्णन किया और धार्मिक उक्तियों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू धर्म में गाय पशुओं में सबसे पवित्र मानी गयी है, जो कि कामनाओं की पूर्ति करने वाली कामधेनु के रूप में पूजी जाती है।